THE WORST ANIMAL(HUMAN)-4
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले रेप पर बात करते हैं कुछ लोगों का मानना है कि पहले के समय में रेप नहीं होते थे और अभी के समय में ही क्यों हो रहे है इसका कारण क्या है ।
NCRB के डेटा के मुताबिक देश में हर 15 मिनट में एक बलात्कार होता है। इंटरनेट पर सर्च करने पर पता लगता है कि वन-पॉट रेसिपी यानी सब्जियों वाली खिचड़ी पकाने में भी लगभग इतना ही समय लगता है। यानी जितनी देर में हम सबसे आसान डिश की देग चूल्हे पर चढ़ाकर फोन पर बतियाते होते हैं, उतने या उससे भी कुछ कम वक्त में देश के किसी हिस्से में एक रेप हो चुका होता है, लेकिन हमें क्या! हम तो प्लेट में खिचड़ी सजाकर उसे घी के साथ खाने में व्यस्त हैं। रेप नाम की आग जब तक पड़ोस, बिल्कुल पड़ोस को न जलाने लगे, हम वन-पॉट रेसिपी पकाने-खाने और ऑफिस की ऊब मिटाने में लगे रहेंगे।
असल में रेप पहले भी होते थे और अभी भी हो रहे हैं इसका एक ही कारण है इंसान की मानसिकता । जो दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है लोग शिक्षित तो है हो रहे हैं पर अपने व्यवहार को नहीं सुधार रहे हैं। पहले लड़कियां कंप्लेंट नहीं दर्ज करवाती थी आज वह कंप्लेंट दर्ज करवा रही है पहले मामले किसी के सामने नहीं आ पाते थे अब सभी के सामने आ जाते हैं।
पहले जब बात घर वालों को पता चलती थी या तो लड़की की शादी करवा देते थे या उसे मार देते थे अपनी इज्जत के खातिर।वह भी यही मानते थे कि सारी गलती लड़की की होगी वह यह तक नहीं सोचते थे कि अपनी लड़की पर शक करने से पहले एक बार उससे पूछ तो ले कि उसकी गलती थी या नहीं थी। पर ऐसा कभी नहीं होता अगर किसी लड़की के साथ रेप हुआ है तो सारी की सारी गलती उसकी है।
यहां तक कि उसके खुद के घर वाले भी यही मानते थे समाज को पता चलता था तो समाज वाले उस लड़की और पूरे परिवार को समाज से बाहर निकाल देते थे और उसके ऊपर दंड लगा देते थे कि वह किसी से बात नहीं करेगी या लड़की स्कूल में जा रही है तो परिवार वाले उसकी स्कूल छोड़वा देते है या लड़की को नाचना, गाना या खेलना पसंद है तो वह सब छूट जाता है।
कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस विधायक के आर रमेश ने स्पीकर से बात करते हुए लेटकर रेप का मजा लेने की बात कह डाली। मजाक की शुरुआत बाढ़ पर चर्चा से हुई थी। सदन में एक के बाद एक कई सदस्य बोल रहे थे, जिस पर अपना बस न चलता देख स्पीकर ने हाथ खड़े करने के अंदाज में कहा कि अब मैं स्थिति को संभालने की कोशिश नहीं करूंगा, बल्कि जो हो रहा है, उसका आनंद लूंगा।
अध्यक्ष की इसी बात पर के. आर रमेश उठ खड़े हुए और 'रेप वाला चुटकुला' सुना दिया। उन्होंने कहा 'एक बात कही जाती है... जब बलात्कार होना तय हो तो लेट जाओ और इसका मजा लो। यह ठीक वही स्थिति है जिसमें आप अभी है।' किस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ। इसका दूसरा हिस्सा और डरावना निकला। हुआ ये कि विधायक के कमेंट के बाद पूरा सदन ठहाके लगा उठा।
इन ठहाकों में सबसे ऊंची आवाज स्पीकर की थी। वे ऐसे हंस रहे थे, जैसे किसी ने गुदगुदी कर दी हो। कहानी का सीक्वल भी है। इसमें कुछ महिला विधायकों ने रमेश के खौफनाक मजाक का विरोध शुरू किया, जिस पर स्पीकर ने उन्हें टोकते हुए कहा कि बात को तूल देना ठीक नहीं। महिलाएं चुप हो गईं और विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू हो गया।
बात सदन से बाहर आने पर विधायक ने माफी मांगी। माफी मांगने का ये ढंग बिल्कुल वही है, जो किसी की मौत पर तसल्ली देने पहुंचे दूर के रिश्तेदार की होती है। रस्म पूरी करती हुई - 'सुनकर बड़ा दुख हुआ, लेकिन आना-जाना तो चलता रहता है।' मातमपुर्सी करता हुआ ये रिश्तेदार दुख के किनारे खड़ा होकर ज्ञान उड़ेलता जाता है। कुछ इसी तर्ज पर विधायक भी माफी मांग रहे हैं। चूल्हे में जाएं स्त्रियां। और भाड़ में भुनती रहे नैतिकता।
वैसे देखा जाए तो विधायक महाशय को माफी मांगने की जरूरत भी नहीं थी। खोट तो असल में औरतों में है। जरा-सा मजाक करो नहीं कि रिरियाने लगती हैं। औरतों की नई पौध और ज्यादा शरारती है। मर्द देह की गंध मिलते ही वो कोबरा नाग की तरह फन काढ़ लेती है और तब तक फुफकारती है, जब तक नया मसाला न मिल जाए।
हर समाज मे रेप का जिम्मेदार एक लड़की को ही ठहराया जाता है क्योंकि वो छोटे कपड़े पहनती है , वो घर से बाहर नॉकरी पर जाती है,वो स्कूल जाती है। बहुत से पढ़े लिखे लोग यह कहते है रेप का जिम्मेदार ओर कोई नही लड़कियां खुद है क्योंकि वो छोटे कपड़े पहनती है।
हमारे पुराणों मे कहावत हुआ करती थी कि जिस इन्सान का भाग्य 100% अच्छा होता है, उनके घर बेटी जन्म लेती है, पर अब तो यह सिर्फ एक मिथ्या प्रतीत होती है। भारत में जब जिसका मन किया रेप कर दिया, कत्ल कर दिया, तेज़ाब फेक दिया, लड़की मानी तो बढ़िया नहीं तो घर से उठा लिया, और तो और लड़की की आबरू से खेलने से पहले ये दरिंदे उसकी उम्र भी नहीं देखते.
अगर पिछले एक दशक में पलट कर देखें तो छोटी-छोटी बच्चियों, यहाँ तक 6 महिने तक की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया गया है। फिर भी न जाने क्यों कानून सख्त नहीं होता।
अगर यह लोग कहते है तो मान लेते है पर उस 6 महीनों, 1 साल, 2 साल की बच्चियों को साड़ी कैसे पहना दे। जरा यह बता दीजिए।
हमारे देश मे औरत की इज्ज़त के लिए कितने युद्ध हुए। और कितनी आग में कूद गई। पता नही अब ऐसा क्या हुआ की औरतें इतनी कमजोर हो गयी जो अपने लिए लड़ना भूल गयी। अगर कोई उनके साथ ग़लत कर रहा है तो वे उसका विरोध नही करतीं।
सब बस एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में लगे हैं। पता नहीं और कितनी दामिनी और मिनाक्षी को दरिन्दगी की आग में झुलसते हुए देखना है। बात करते हैं बेटी को पढ़ाने की। अरे! जब बेटियाँ इन हैवानों से बचेंगी तब न पढ़ेंगी।
इस देश का तब तक कुछ नही हो सकता जब तक महिला दिवस के नाम पर एक दिन की वाहवाही बंद नहीं होती। एक दिन प्यार और अगले दिन बलात्कार! इस प्रथा को बदलना होगा। जी हां बदलना ही होगा। एक दिन केंडल मार्च निकालने से कुछ नहीं होने वाला।
रेप पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं बस पहले सामने नहीं आ पाते थे अब सामने आ रहा है। ऐसी बहुत सी खबरे है जो लोगों के सामने नही आती है कुछ तो घरों में ही दबकर रह जाती है। और कुछ पुलिस की फाइलों में रह जाती है। कुछ लोग इसलिए भी पुलिस के पास नही जा पाते क्योंकि पुलिस के पास जाने के बाद यह समाज उन्हें जीने नही देगा।
हमारे समाज के अनुसार सारी गलती उस लड़की की है ओर उसके बाद उसके घर वालो की गलती। मैं यह पूछता हूं की लड़की के साथ दरिंदगी हुई है तो उसकी जिम्मेदार वो लड़की कैसे हुई। लोग तो यह भी कहते है की लड़कियों के साथ रेप होते है उसका कारण है उनका पहनावा। लड़कियां जीन्स पहनती है यह भी गलत हैं।
पहले रेप होने के बाद खबर सामने आने के कुछ कारण हम नीचे दे रहे हैं उन्हें एक बार पढ़िए गा
सबसे पहले तो समझौता करवा दिया जाता था।
दूसरा पीड़िता के घर वालों को पुलिस को सूचना देने से रोका जाता था।
उन वहशी दरिन्दों को बेल पर रिहा कर दिया जाता है।
विपक्ष सत्ताधारी पार्टी पर कीचड़ उछालने लगता है।
नेता कहते हैं- गलती तो किसी से भी हो सकती है...
ज्यादातर मामलों में तो पीड़ितों को ही लोग गलत ठहराते हैं।
मीडिया टीआरपी गेन करने में जुट जाता है।
अखबार व अन्य मीडिया संस्थान रेप की खबरों में मसाला ढूंढ़ते हैं।
सोर्स और पैसा लगते ही पुलिस केस को हलका कर देती है।
कुछ दिन समाज में इसकी गरमा-गरमी बनी रहती है। फिर सब शांत हो जाता है।
जनता धरना प्रदर्शन करती है, युवक युवतियां कैंडल मार्च निकालते हैं इसके अलावा हम करते भी क्या हैं।
और कुछ ही दिन बाद फिर से दरिंदगी की बड़ी वारदात घट जाती है।
गंदी मानसिकता रखने वाले गूगल पर हर दोज Rape सर्च करते हैं।
कुछ टाइम पहले भारत में सबसे ज्यादा रेप दिल्ली में होते हैं अब उसकी जगह ले ली है राजस्थान ने। राजस्थान में इस समय सबसे ज्यादा रेप हो रहे हैं और इसी बीच जब एक मीडिया कर्मचारी ने एक नेता से पूछा कि राजस्थान में इतने रेप क्यों हो रहे हैं इसका क्या कारण है तो उस नेता ने कहा राजस्थान मर्दों का राज्य हैं। हमारी बात यह झूठ नहीं है आप चाहे तो न्यूज़पेपर उठा कर देख सकते हैं सेम लाइन उस नेता ने बोली थी।
अब आते है कहानी पर
लोगों ने इन तीनों लड़कियों को अलग-अलग जगह से उठाया था जिससे इसके घर वाले भी अगर कंप्लेंट करने भी जाए पुलिस स्टेशन में तो किसी को उन पर शक ना हो। कि यह किसी एक गैंग के द्वारा किया गया काम है और उन्हें पता था कि पुलिस इतनी ज्यादा तहकीकात करती नहीं है जो अपने आसपास के पुलिस स्टेशन में भी पता नहीं करेगी।
2 दिन से ज्यादा बीत चुके थे लड़कियों के घर वाले पुलिस स्टेशन आते थे पर निराश होकर घर चले जाते थे धीरे-धीरे उनकी उम्मीदें भी कम होती जा रही थी कि उनकी बेटी उन्हें वापस मिलेगी या नहीं और पुलिस ने एक-दो दिन देखा पर जब उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा तो उन्होंने भी ढील छोड़ दी पुलिस ने फोन लोकेशन पता करने की कोशिश भी स्कूल कॉलेज और बीच रास्ते में ही दिखाई दे रही थी उसके बाद बंद हो गया उनका फोन।
पुलिस वालों ने भी ज्यादा परेशान होना नही चाहते थे क्योंकि उनके लिए आराम जरूरी था । इसलिए वो आराम को हमेशा पहले रखते है। वो सोचते है काम तो करना ही वो भी जिंदगी भर। अगर लड़कियों के घर वाले आकर बोलते हैं कि सर मेरी बेटी का क्या हुआ था पुलिस वाले का एक ही जवाब होता हमारे पास लाखों केस पड़े हम किस किस को देखें हम सब मिलकर सिर्फ आपकी बेटी को ही ढूंढे हमारे पास और कोई काम नहीं है आना हो तो आ जाएगी आपकी बेटी या भाग गई होगी किसी के साथ बता दिया था उस दिन किसी लड़के के साथ हो रही है।
वह बोला मन भर जाने के बाद वापस लौट आएगी इतना परेशान होने की जरूरत कहां है तुम लोगों को वैसे भी आज नही तो कल आप उसकी शादी करवा ने वाले थे उसने पहले ही भाग कर कर ली होगी।
शादी में कितने पैसे खर्च होते दहेज देना पड़ता इन सब से तो छुटकारा मिल गया तुम लोगों को फिर इतना परेशान क्यों हो रहे हो।
मां बाप निराश होकर वापस घर आ जाते हैं उन्हें पता है कि अब पुलिस भी कुछ करने से रही। पुलिस बस टाइम पास कर रही है और उनकी बेटियां अब उन्हें मिलने से रही थक हार कर वह भी अब शांत हो गए । धीरे-धीरे दिन बीतने लगे 10 से 15 दिन में मामला शांत हो गया पुलिस ने केस बंद कर दिया।
इससे तो उन्हें छुटकारा मिल गया था पर उन लोगों को समाज से छुटकारा नहीं मिला। समाज वाले लोग उन्हें अलग अलग तरीके से परेशान कर रहे थे कोई कहता अपनी बेटी का ख्याल नहीं रख सकते, कोई कहता है कि तुम लोगो ने अच्छी परवरिश नहीं दिए इसलिए किसी के साथ भाग गई होगी या किसी के साथ मुंह काला करवा रही होगी । आप लोगों ने पहले ही उसको अच्छी परवरिश दी होती तो वह आप लोगों का ऐसा नाम खराब नहीं करती। ऐसे ताने उसको रोजाना मिलने लगे।
तो कोई बोलता है जरूर घरवालों ने उसको ज्यादा छूट दे रखी होगी तभी वह भाग की गई है अगर घरवाले समय पर ध्यान देते तो वह ऐसा कदम कभी नहीं उठाती। हमारे घर में भी बेटियां है उन्होने तो ऐसा कदम कभी नहीं उठाया वह तो सीधे स्कूल और कॉलेज से सीधा घर आती है ना किसी से बात करती है ना किसी सारी गलती इनके घर वालों की ही है ऐसी लड़कियो की वजह से दूसरी लड़कियों को बदनामी होती है और साथ में उनके मां-बाप का भी नाम खराब होता है लड़की खुद तो भाग जाती है और मरने के लिए अपने परिवार वालों को छोड़ जाती है।
कमश:
।। जयसियाराम ।।
vishamramawat
Natasha
05-Apr-2023 12:11 PM
Nice
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वानी
03-Feb-2023 11:00 PM
nice
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Parangat Mourya
01-Feb-2023 10:55 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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